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यदि आप Mppsc 2019 की तैयारी कर रहे हो तो hindi aspirants की तरफ से आपके लिए mppsc के सिलेबस के हिसाब से कुछ महवपूर्ण टॉपिक कवर किये जा रहे है। यदि आपको किसी भी प्रश्न का डिटेल में उत्तर चाहिए तो आप अपने प्रश्न कमेंट बॉक्स में लिख सकते है।
मध्यप्रदेश में मंद औद्योगिक विकास के कारण
मध्य प्रदेश भारत का क्षेत्रफल की दृष्टि दूसरा सबसे बड़ा राज्य है जो की भारत के हृदय में बसता है मध्य प्रदेश ग्रामीण पृष्ठभूमि वाला राज्य है जहां पर विकास की अपार संभावनाओं के बावजूद अपेक्षित विकास को प्राप्त करने में हम असफल रहे हैं।
मध्य प्रदेश सरकार ने समय-समय पर औद्योगिक नीतियां बनाकर विकास हेतु प्रयास किए परंतु फिर भी कुछ कारण थे जिनकी वजह से प्रदेश का औद्योगिक विकास मंद श्रेणी में चले गया।
यह हम कुछ कारणों का उल्लेख कर रहे है -
(1)संसाधनों का अभाव-
पश्चिमी मध्य प्रदेश में संसाधनों का अभाव मध्य प्रदेश को औद्योगिक दृष्टि से पिछड़ा रखने का कारण है क्योंकि पश्चिमी मध्य प्रदेश में खासकर विकसित जिले आते हैं जहा पूंजी की आधियक्ता होने के बावजूद संसाधन की कमी की वजह से औद्योगिक विकास अवरुद्ध रहा है।
(२) शक्ति के साधनों में कमी-
प्रदेश में उद्योगों के लिए आवश्यक शक्ति साधनों की कमी स्पष्ट दृष्टिगोचर रही है मध्य प्रदेश के गठन के समय वर्ष 1956 से 1957 में कुल विद्युत क्षमता 81.5 Mw जो वर्ष 2002 से 2003 में 4652 Mw हो गई जो अपेक्षाकृत कम रही है प्रदेश में पाए जाने वाला कोयला सतपुड़ा क्षेत्र एवं मध्यप्रदेश में पाया जाता है।
उसकी गुणवत्ता उच्च नहीं है क्योंकि श्रेष्ठ किस्म का कोयला भंडार बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड में केंद्रित है वहीं कच्चे इंधन भी प्रदेश की पहुंच से दूर है।
(3)प्रौद्योगिकी की कमी -
यदि संसाधन की दृष्टि से मध्य प्रदेश की तुलना अन्य राज्यों से की जाए तो मध्य प्रदेश संपन्न राज्य हैं परंतु प्रौद्योगिकी का अभाव इसके औद्योगिक विकास को धीमा करता है । पुरानी तकनीक से उत्पादन क्षमता कम रहती है इसकी वजह से हमारा उद्योग पिछड़े हुए हैं ।
(4) पूंजी की अपर्याप्ता -
प्रदेश में पूंजी की अपर्याप्त भी रही है यहां प्रति व्यक्ति आय अन्य प्रदेशों की तुलना में काफी रही है वर्ष 1999 से 2000 में प्रति व्यक्ति आय 12384 थी अतः बचत कम होना और पूंजी का उपयोग ना होना एक बड़ी समस्या है अतः प्रदेश में स्थानीय पूंजी का अभाव है ।
(5) प्रदेश की भौगोलिक संरचना -
उद्योगों का विकास तटीय राज्यों में ज्यादा होता है ,किन्तु मध्यप्रदेश पूरी तरह से लैंड लॉक्ड एरिया है । साथ इस यह की भौगोलिक संरचना भी -
1) पठारी भूभाग
2)बेसाल्ट चट्टानों से बना
3)रेलवे लाइनों के निर्माण में समस्या
4)सड़के खनिजों के उत्खनन में समस्या
(6)मुलभूत बुनियादी आथिंक संरचना का अभाव -
बुनियादी संरचना- 1) बेहतर सड़क का अभाव
2) रेल एवं वायु परिवहन अभाव
3) विघुत आपूर्ति का अभाव
प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों में अभी भी रेल संपर्क पूर्ण रूप से जुड़ नहीं पाया ।
प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्ग- 4 लेन नगण्य है वहीं 6 लेन एक भी नहीं है सड़कों की स्थिति जर्जर है वह गुणवत्ता भी उचित नहीं है वही परिवहन भी सीमित है।
(7) अनुसंधान की कमी -
औद्योगिक विकास खनिज के संसाधनों पर निर्भर करता है। इसके लिए समय-समय पर अनुसंधान आवश्यक होता है, जिससे खनिज की गुणवत्ता उपलब्धता एवं उपयोगिता का पता चलता है।
हमारे प्रदेश में अनुसंधान की कमी भी औद्योगिक विकास ना होने के पीछे एक कारण है।
(8)साक्षरता का अभाव -
औद्योगिक विकास में कुशल श्रमिकों की आवश्यकता होती है जिनको हम शिक्षा के माध्यम से कुशल बना सकते हैं। साक्षरता एक महत्वपूर्ण शोधन है जिससे उद्योग विकास प्रभावित होता है।
(9) आर्थिक कारक -
आर्थिक कारक के रूप में सबसे महत्वपूर्ण कारक पूंजी कर की उपलब्धता है । पूंजीगत संसाधनों को खरीदने के लिए एक मजबूत अर्थ तंत्र की आवश्यकता होती है। ग्रामीण स्तर से महानगर तक उद्योगों को स्थापित किया जा सकता है ।
मध्यप्रदेश में आजादी के बाद बैंकिंग प्रणाली उतनी मजबूत नहीं हो पाई जितनी होनी चाहिए थी अतः इसका असर औद्योगिक विकास दर देखने को मिलता है।
(10) सामाजिक कारण-
भारत एक विविधताओं वाला देश है। यह विविधता हमारे प्रदेश में और अधिक विविध हो जाती है, क्योंकि यह प्रदेश जनजातियों का प्रदेश है ।जनजातियों का निवास स्थान साधरणत: जंगल होता है जहा वे अपने आप को प्रकृति का हिस्सा मानते हैं जिससे उनके बीच औद्योगिकरण की एवं उपयोग विकास की अपेक्षा सरकार के अनुसार नहीं होती है।
तो ये कुछ महत्वपूर्ण कारक थे मध्यप्रदेश में मंद औद्योगिक विकास के।
धन्यवाद !
Thanks
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