नमस्कार दोस्तों,
दोस्तों आज जहाँ पूरी दुनिया कोविड-19 (Covid-19) से परेशान है साथ ही जगह - जगह आने वाले तूफ़ान और चक्रवात में उलझी हुई है वही एक ट्वीट के चलते दुनिया में एक नई अफवाह ने जोर पकड़ लिया है। इन्टरनेट की बात कही जाये या सोशल मीडिया की ।ये ऐसा प्लेटफार्म है जहाँ कुछ भी चीज बिना किसी पुख्ता सबूत के वायरल हो जाती है,वो भी बिना किसी आधार के।
दोस्तों आज जहाँ पूरी दुनिया कोविड-19 (Covid-19) से परेशान है साथ ही जगह - जगह आने वाले तूफ़ान और चक्रवात में उलझी हुई है वही एक ट्वीट के चलते दुनिया में एक नई अफवाह ने जोर पकड़ लिया है। इन्टरनेट की बात कही जाये या सोशल मीडिया की ।ये ऐसा प्लेटफार्म है जहाँ कुछ भी चीज बिना किसी पुख्ता सबूत के वायरल हो जाती है,वो भी बिना किसी आधार के।
अभी एक ताज़ा मामला इन्टरनेट पर तेजी से वायरल हुआ है,जिसमे कहा जा रहा है,कि पृथ्वी का अंत (End of the World) 21जून 2020 को हो जायेगा। इसका आधार माया सम्भयता के कैलेंडर को पेश करके किया जा रहा है।
दोस्तों ऐसा नही है,की इस तरह की भविष्यवाणी आज की जा रही है ये पहले भी होता आया है जैसे मई 2003 और दिसम्बर 2012 ।हर बार किसी न किसी तथ्य को आधार बना कर झूठी अफवाह के रूप में पेश करके दुनिया मे खोफ का माहौल बना दिया जाता है।
माया सभ्यता का इतिहास-
माया सभ्यता( Maya civilization) अति प्राचीन सम्भयता मानी जाती है।इसे अमेरिकन सम्भयता की देंन भी कहा जाता है।
इसे करीब 250 से लेकर 900 ई.पू तक उत्तरी और मध्य अमेरिका जिसमे शामिल मेक्सिको,बेलीज इत्यादि में विकसित माना जाता है।
ये लोग कला,ज्योतिषि,लेखन, वास्तुशास्त्र में कुशल माने जाते थे। और उन्ही की देन के स्वरूप उन्होंने माया कैलेंडर का विकास किया।
भारतीय इतिहास की बात करी जाये तो हमारे देश में माया कैलेंडर, जूलियन कैलेंडर और ग्रेगोरियन कैलेंडर प्रसिद्ध रहा है। दुनिया के अंत की थ्योरी माया कैलेंडर पर आधारित है।
बात करी जाये यदि ग्रेगोरियन कैलन्डर की तो इसका अस्तित्व 1582 में हुआ था।इससे पहले लोग माया और जूलियन कैलेंडर का उपयोग करते आये थे।
ग्रेगोरियन कैलेंडर पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा का सही समय बताने के लिए पेश किया गया था।लेकिन अधिकांश लोगो का मानना है कि जिस वर्ष ग्रेगोरियन कैलेंडर को अपनाया गया था तब तक 11 दिन बीत चुके थे।
धीरे -धीरे जब समय बढ़ता गया इन 11 दिनों का समय के साथ इजाफा होता गया और एक नई कल्पना भरी थ्योरी का विकास हुआ जिसके हिसाब से आज 2020 की जगह वर्ष 2012 होना चाहिए था।
इस बात को हवा और तब मिल गयी जब एक वैज्ञानिक पाउलो टागालोगयून ने एक ट्वीट किया उन्होंने लिखा की जूलियन कैलेंडर के हिसाब से हमे टेक्निकली वर्ष 2012 में होना चाहिए था।
उनके अनुसार ग्रेगोरियन कैलेंडर में 11 दिन प्रति वर्ष का नुकसान हुआ । ग्रेगोरियन केलिन्डर को 1752 में अपनाया गया और उसके हिसाब से आज 2020 तक कुल 268 वर्ष गुजर चुके है।
यदि इन 268 वर्ष में 11 दिन का गुणा 268*11=2948 दिन जो की 2948/365=लगभग 8साल के बराबर होते है।इसको ट्वीट करने के कुछ समय पश्चात ही पाउलो टागालोगयून ने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया।
उनके अनुसार 21जून 2020 को वास्तविक में 21 दिसम्बर 2012 होना चाहिए जिसके अंत की भविष्यवानी 8 साल पहले की गयी थी और अब उसी आधार पर कहा जा रहा है कि 21जून 2020 को धरती का अंत (End of the World) हो जायेगा।
नासा (NASA) का कथन-
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने इसके जवाब में कहा है,कि इस बात का कोई वास्तविक आधार नही है।उसने कहा है कि इस थ्योरी की शुरुआत तब हुई जब कहागया कि सुमेरियन लोगो ने एक नए ग्रह की खोज की है जिसका नाम निबिरु है और ये ग्रह पृथ्वी की और आ रहा है।
नासा ने साफ तौर पर कहा है,की ये दावे झुठे है जिनका कोई वैज्ञनिक प्रमाण नही है ।ये खोखले दावे इन्टरनेट पर और सोशल मीडिया के द्वारा बेवजह फैलाये जा रहे है।साथ ही नासा ने कहा है कि ऐसे झूठे दावे पहले भी किये गए है।अतः आप भी इन सब कल्पनाओं से भरी हुई बातो से दूर रहे।
धन्यवाद!
नासा ने साफ तौर पर कहा है,की ये दावे झुठे है जिनका कोई वैज्ञनिक प्रमाण नही है ।ये खोखले दावे इन्टरनेट पर और सोशल मीडिया के द्वारा बेवजह फैलाये जा रहे है।साथ ही नासा ने कहा है कि ऐसे झूठे दावे पहले भी किये गए है।अतः आप भी इन सब कल्पनाओं से भरी हुई बातो से दूर रहे।
धन्यवाद!
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